रमज़ान का महत्व,रमजान का मतलब निबंध, इतिहास | Ramzan or Ramadan Festival In Hindi

रमजान इस्लामी कैलेंडर में सबसे पवित्र और सबसे महत्वपूर्ण महीनों में से एक है। यह आध्यात्मिक प्रतिबिंब, आत्म-अनुशासन और नवीकरण …

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दहेज़ प्रथा पर स्लोगन Dahej Pratha Slogan In Hindi 2023

दहेज़ प्रथा पर स्लोगन Dahej Pratha Slogan

दहेज़ एक सामाजिक अपराध हैं जब भी इस कारण किसी लड़की को जान गँवानी पड़ती हैं तो तरस आता हैं उस नौजवान पर कि अपने आपको मर्द कहने वाला असल में कायर हैं उसके कन्धों में इतना बल नहीं कि एक परिवार बना सके .जब दम नहीं तो स्वीकार करों यूँ औरत के जीवन का फैसला करने का कोई हक़ नहीं हैं . बेटी के माता पिता को उसे पढ़ाकर अपने पैरों पर खड़ा करने का काम करना चाहिए ना कि कुछ चंद रुपये देकर उसे किसी के हवाले क्यूंकि आपका यह सोचना कि इस सबके बाद आपकी बेटी खुश हैं या आपके कन्धों पर उसका कोई बोझ नहीं, तो आप गलत हैं . ना बेटी खुश हैं और उसके दुःख का भार, आप पर जिंदगीभर हैं.

दहेज़ प्रथा पर हिंदी स्लोगन Dahej Pratha Slogan In Hindi

Dahej Pratha Slogan In Hindi 1

तेरी ही बगिया में खिली
तितली बन आसमां में उड़ी हूँ
मेरी उड़ान को तू  शर्मिंदा ना कर
ए बाबूल मुझे दहेज़ देकर बिदा ना कर

Dahej Pratha Slogan In Hindi 2

अरमानो का मोल लगाना बंद करो
दहेज़ के लिए लड़का बेचना बंद करों

Dahej Pratha Slogan In Hindi 3

 

सरेआम नीलामी की मौहर लगती हैं लड़के के माथे पर
और सीना तान इज्ज़त पाने खड़े हैं लड़की के द्वारे पर

Dahej Pratha Slogan In Hindi 4

 

बिकता हैं लड़का
शर्मिंदा क्यूँ हैं लड़की
औकात लड़के की ही दिखती हैं
बाजार में लड़की नहीं बिकती हैं

Dahej Pratha Slogan In Hindi 5

 

आशीर्वाद कह कर देते हैं दहेज़
क्यूँ अपने दुलार को शर्मिंदा करते हैं
चंद रुपये में तौल दिया बेटी का प्यार
क्यूँ बेटी पर माँ बाप ये वार करते हैं

Dahej Pratha Slogan In Hindi 6

दहेज़ देना भी अपराध हैं
जो देते हैं वही चाहते भी हैं
पैसो के मोल खुशियाँ ना खरीदों
जीते जी बेटियों को ना खरीदों ना बेचों

Dahej Pratha Slogan In Hindi 7

चंद पैसों के लिए जला दिया किसी के अरमानो को
ये लड़ाई हैं सबकी मारों उन दहेज़ के दीवानों को

 Dahej Pratha Slogan In Hindi 8

 दहेज़ एक प्रथा नहीं
हैं भीख मांगने का सामाजिक तरिका
फर्क इतना हैं बस

देने वाले की गर्दन झुकी हैं
लेने वाले की अकड़ बढ़ी हैं

Dahej Pratha Slogan In Hindi 9

समाज के तरीको ने ही बनाया हैं बेटी को पराया
दहेज़ हो या कन्या भ्रूणहत्या अपनों ने ही कहर हैं बरसाया

Dahej Pratha Slogan In Hindi 10

लड़की हूँ मैं, नहीं कोई सामान
मत बेचों मुझे, बाजार के दाम
शेयर मार्केट का मैं कोई दाम नहीं
मेरी जिन्दगी इतनी भी आम नहीं

ऊपर लिखे  Dahej Pratha Slogan मेरे अन्दर का गुस्सा हैं जो मुझे आये दिन पढ़ने वाली ख़बरों से आता हैं जिनमे दहेज़ के कारण जला दिया या दहेज़ के कारण आत्महत्या की जैसी घटनाये होती हैं . मैं भी एक लड़की हूँ जब अपनी माँ को अपनी शादी के लिए परेशान देखती हूँ तो इस समाज पर गुस्सा आता हैं ऐसे रीतिरिवाज बनाये ही क्यूँ ? जिसमे लालच जन्म ले. हम मानते हैं रीतिरिवाज कुछ सोच कर बनाये जाते हैं पर जब वे इतना भयावह रूप लेले तो उन्हें उखाड़ कर फेंक देना चाहिए . दहेज़ प्रथा को बढ़ावा उच्च परिवार जयादा देते हैं जो अपने प्यार को आशीर्वाद को रुपए उपहार के रूप में व्यक्त करते हैं . अपने रुतबे का दिखावा करते हैं, पर वे ये नहीं जानते उनके इस दिखावे के कारण वे जाने अनजाने किसी की हत्या, किसी की आत्महत्या का कारण बनते जा रहे हैं.

दहेज़ प्रथा को रोकने के लिए युवा वर्ग को अहम् कदम उठाने की जरुरत हैं | जब लड़का एवम लड़की इसका विरोध करेंगे तब ही यह प्रथा बंद होगी , Dahej Pratha Slogan In Hindi आपको कैसे लगे कमेंट करे

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ईद उल-फितर का इतिहास, Eid-ul-fitr history, Eid Mubarak in Hindi

ईद उल-फितर का इतिहास, ईद उल-फित्र, ईद मुबारक(Eid al fitr (Fitar), history, in Hindi )

 

ईद उल फितर, जिसे “उपवास तोड़ने का त्योहार” के रूप में भी जाना जाता है, इस्लामी कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। यह त्योहार रमजान के पवित्र महीने के अंत का प्रतीक है, जिसके दौरान मुसलमान भोर से सूर्यास्त तक उपवास करते हैं। ईद उल फितर परिवार और दोस्तों के एक साथ आने और महीने भर के उपवास की अवधि के अंत का जश्न मनाने का समय है। इस लेख में, हम ईद उल फितर के इतिहास और सदियों से यह कैसे विकसित हुआ है, इसका पता लगाएंगे।

ईद उल-फितर मुसलमानो का सबसे बड़ा त्यौहार है, रमजान के महीने में सभी मुस्लिम समुदाय के लोग  रोजा रखते है, इसके अंत में एक महीने के कठिन उपवास के बाद, यह दिन बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस का अर्थ है खुशी. ईद उल-फितर को मीठी ईद भी कहा जाता है

ईद उल फितर की उत्पत्ति:

ईद उल फितर की उत्पत्ति इस्लाम के संस्थापक पैगंबर मुहम्मद के समय में देखी जा सकती है। इस्लामिक परंपरा के अनुसार, पैगंबर और उनके अनुयायियों के मदीना आने के बाद त्योहार पहली बार 624 सीई में मनाया गया था।

ईद उल-फितर कब और कैसे मानाते है (Eid Ul Fitr)  

  • रमजान के खत्म होने पर, चाँद के दीदार के बाद यह पवित्र दिन आता है . मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार यह पर्व दसवे महीने में आता है. इस महीने को शव्वाल कहां जाता है, और इसके प्रथम दिन यह त्यौहार होता है, जो कि तीन दिनों तक मनाया जाता है.
  • रमजान के पुरे महीने में कठिन उपवास रखने के बाद जब चाँद दिखाई देता है तो हर किसी के मन में एक उत्साह की लहर दौड़ जाती है .
  • इस दिन मुस्लिम जल्दी उठ कर नहा कर नए कपडे पहनते है . नमाज अदा की जाती है घर में सजावट की जाती है .
  • हर घर में पकवान और मिठाई बनाई जाती है , मुस्लिमों की खास“सिवेया“ इस दिन हर घर में बनाई जाती है . इस दिन कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहता .
  • ईद के दिन सभी अपने रिश्तेदार और दोस्तों के घर मिलने जाते है . एक दुसरे से गले मिलते है. सभी बड़े अपने से छोटे को उपहार या धन देते है जिसे “ईदी” कहा जाता है .
  • इस दिन हर व्यक्ति अपने गिले शिकवे भूल कर प्रेम का आदान प्रदान करते है . यह प्यार सहानुभूति और भाईचारे का पर्व है. कई जगहों पर ईद के मेले भी आयोजित किये जाते है .
  • इस दिन हर स्तर के मुसलमान को खुश देखा जाता है , गरीब हो या अमीर सभी एकजुट हो कर उत्साह से इस पर्व को मनाते है .
  • इसदिन सभी अपनी शक्ति के अनुसार दान करते है इस दिन किये गए दान को “जकात उल फितर” कहा जाता है .

ईद उल-फितर का महत्व

ईद उल-फितर रमजान के दौरान महीने भर के उपवास की अवधि पूरी होने का जश्न मनाने का समय है। यह पवित्र महीने के दौरान प्राप्त आशीर्वादों के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा करने और किए गए किसी भी पाप के लिए क्षमा मांगने का समय है। त्योहार इस्लामिक कैलेंडर में एक नए महीने की शुरुआत का प्रतीक है, जिसे शव्वाल के नाम से जाना जाता है।

मुसलमानों का मानना है कि इस दिन अल्लाह उनके अच्छे कामों का इनाम देता है और उनके गुनाहों को माफ कर देता है। यह भोजन, आश्रय और अन्य आशीर्वादों के लिए कृतज्ञता दिखाने का भी समय है जो अल्लाह ने उन्हें दिया है।

ईद उल-फितर उत्सव

ईद उल-फितर का उत्सव एक देश से दूसरे देश और संस्कृति से संस्कृति में भिन्न होता है, लेकिन कुछ सामान्य प्रथाएं हैं जो दुनिया भर में मनाई जाती हैं। मुसलमान अपने दिन की शुरुआत स्नान करके और नए या साफ कपड़े पहनकर करते हैं। वे ईद की नमाज अदा करते हैं, जो एक मस्जिद या खुले स्थान पर सामूहिक रूप से की जाने वाली एक विशेष प्रार्थना है।

प्रार्थना के बाद, मुसलमान एक दूसरे को “ईद मुबारक” या “हैप्पी ईद” कहते हैं और परिवार और दोस्तों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। पारंपरिक मिठाइयाँ और व्यंजन तैयार किए जाते हैं और पड़ोसियों और रिश्तेदारों के बीच बाँटे जाते हैं।

इस दिन को दान और कम भाग्यशाली लोगों को देने के द्वारा भी चिह्नित किया जाता है। मुसलमानों को ज़रूरतमंदों को दान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, और ज़कात अल-फ़ित्र, गरीबों को दिया जाने वाला एक विशेष दान भी इस दिन दिया जाता है।

 

 

ईद मुबारक हिंदी शायरी (Eid Mubarak Shayari in Hindi)

मौका हैं खास
कहदे दिल के ज़स्बात
गीले शिकवे भुलाकर
सभी को ईद मुबारक

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ज़न्नत से नज़राना भेजा हैं
खुशियों का ख़जाना भेजा हैं
कुबूल फ़रमायें दिल की दुआ हैं
ईद मुबारक का फ़रमान भेजा हैं

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तारो से आसमा में खिली रहे बहार
चाँद के जैसा पाक हो सभी का प्यार
होता रहे युहीं अपनों से दीदार
मुबारक हो तुमकों ईद का त्यौहार

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मुबारक मौका हैं करो खुदा की इबादत
खुशियों से भरी ये जिंदगी रहे सलामत
अदा करे हर फ़र्ज़ खुदा की रहमत में
पाक दिल युही सजदा करें रमज़ान के महे में.|

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मुस्कुराते रहो जैसे खिला हुआ फूल
गमो की बेला जाये तुमको भूल
ऐसे ही प्रेम की चलती रहे रीत
इसी दुआ के साथ मुबारक हो ईद

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अल्लाह की करते हैं तहे दिल इबादत
दुश्मन हो या दोस्त रखे सभी को सलामत

कुबूल फ़रमाय से शायरी का नज़राना
ईदी चाहिये तो घर जरुर आना

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निष्कर्ष:

ईद उल फितर एक ऐसा त्योहार है जो सदियों से विकसित हुआ है, लेकिन इसका मूल संदेश वही है: ईश्वर ने हमें जो आशीर्वाद और इनाम दिए हैं, उनके लिए आभार और धन्यवाद व्यक्त करना। यह एक समुदाय के रूप में एक साथ आने, गरीबों और जरूरतमंदों को देने और महीने भर के उपवास की अवधि के अंत का जश्न मनाने का समय है। जैसा कि दुनिया भर के मुसलमान ईद उल फितर मनाते हैं, उन्हें विश्वास, परिवार और समुदाय के महत्व की याद दिलाई जाती है, और कई आशीर्वाद जो जीवन प्रदान करते हैं

FAQ

Q : ईद उल-फितर किसका त्यौहार है ?

Ans : यह मुस्लिम धर्म का त्यौहार है.

Q : ईद उल-फितर कैसे मनाते हैं ?

Ans : 1 महीने रमजान का उपवास रहने के बाद ईद के दिन सभी एक दुसरे से मिलते हैं. और मिठाई बांटते हैं.

Q : रमजान में लोग व्रत कब खोलते हैं ?

Ans : शाम को चाँद देखने के बाद